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HP computer what means of HP full form and mystery of HP in Hindi एसपी कंप्यूटर एसपी का मतलब अर्थ

HP computer hp company hp brand what mean of 'HP'

HP एक IT information technology or electronic technology की दिग्गज कंपनी है क्या आप एसपी का अर्थ जानते है या जानने की कोशिश की है वैस ज्ञान बढ़ाने और दो कदम आगे रहने के लिए ऐसी बाते जानना जरूरी है

LIC company क्यों है जीवन बीमा और इन्वेस्टमेंट के लिए बेस्ट

तो चलिए लेकिन इससे पहले कुछ और
HP brand भारत मे एक Top brand है एसपी मुख्यत: कम्प्यूटर के लिए जानी जाती है लेकिन यह अन्य उत्पाद जैसे hp printers, scanner, camera आदी का निर्माण भी करती है



इसका मुख्यालय USA Palo Alto California मे है.
यह 1939 से स्थापित है
इसके संस्थापक
bill hewlett or david Packard थे.

इन दो संस्थापको को जोडकर HP बना है 
Hewlett =H 
Packard =P 
= HP brand
दो संस्थापको का नाम ही ब्रांड लॉगो है. 
HP का full form नहीं है और बनाए तो
हैवलेट-पैकर्ड बनता है.

1जी 2जी 3जी 4जी क्या है ? | What is 1G 2G 3G 4G 5G?






क्या है 1G  2G 3G 4G or 5G ? Kya aap jante he G kya he?  जाने 1जी 2जी 3जी 4जी का मतलब! 

Technology की दुनिया में जी G का मतलब Generation ( पीढ़ी ) में । एक स्तर हैं । 

जेनरेशन शब्द का अधिक इस्तेमाल कम्प्यूटर, स्मार्टफ़ोन और कंयूनिकेशन संचार प्रकार में किया जाता है ।

जैसे 4 Generation Leptop , 4 generation sd memory card, 4G phone आदी ।




की-बोर्ड के प्रकार / How many types of computer keyboard? In Hindi



कम्प्यूटर की बोर्ड के प्रकार
Computer key-board 
की-बोर्ड एक इनपुट डिवाइस है ।
की-बोर्ड के विभिन्न आकार-प्रकार हैं।

यहां दिये जा रहे हैं की-बोर्ड के प्रकार 

पारंपरिक की-बोर्ड - यह पुर्ण आकर की मोटाई लिए दृढ की -बोर्ड होती है जिसमे फंक्शन्स की, नेवीगेशन की, न्यूमेरिक बटन होती हैं । अधिकतर डेस्कटप कंम्प्यूटरों पर इन्हीं की-बोर्डो का उपयोग होता है ।

लचीले की बोर्ड - ये आसनी से मोडी व लपेटी जा सकती हैं इनका इस्तेमाल सुविधा के लिए होता है जैसे कहीं दुसरी जगह आसानी से बैग में डालकर ले जाया जा सकता है ।


एर्गोनोमिक्स की-बोर्ड - ये पारंपरिक की-बोर्ड के समान हि होती है लेकिन इसमें कुछ बेहतर सुविधाएं दि होती है 
जैसे थकने या रूकने परकि-बोर्ड पर हाथ रखने की जगह ।

की(बटनो) व उनकी जगह की ऐसी डिजाइन की आसान व तेजी से कि बोर्ड पर कार्य किया जा सके ।


वायरलेस की-बोर्ड - ये वायरलेस वायर रहीत की-बोर्ड होती है । जो ब्लूटूथ की तरह काम करते है ।
वायु माध्यम से सिस्टम यूनिट को इनपुट उपलब्ध कराते है ।


पीडीए  की-स्मार्टफ़ोनो के लिए बनाऐ गए की बोर्ड है ।


माउस क्या करता है? What does the mouse?

Mouse
माउस
माउस क्या कार्य करता है ?
माउस के बारे में जानकारी
माउस माॅनीटर पर

की-बोर्ड कैसे साफ करे ? How to clean Keyboard in Hindi

Computer Internet Questions

की-बोर्ड कैसे साफ करे ?
How to clean Keyboard in Hindi

की-बोर्ड मे

बैंडविड्थ क्या है । what is bandwidth in Hindi?



Computer Internet Questions

बैंडविड्थ क्या है ।
what is bandwidth in Hindi?

बैंडविड्थ संचार माध्यम की क्षमता

इंटरनेट के क्या क्या उपयोग है ? What is use of Internet Network

Computer internet question

इंटरनेट के क्या क्या उपयोग है ? What is use of Network

इंटरनेट नेटवर्क के कई उपयोग है
जैसे -

  • आॅनलाईन गेम खेलना
  • इंटरनेट फोन स्कूलो में
  • फाइल एवं प्रिंटर को शेयर करना 
  • वायरलेस शेयरिंग 
  • साइबर केफे मे
  • गाडियों कि नेविगेंशन के लिऐ
  • सोशल मीडिया में
  • आॅनलाईन विडियो टीवी देखने 
आदी  कई कार्य मे उपयोगी हैं ।

फायरवाॅल क्या है कैसे काम करता है? What is Firewall how firewall work in hindi

Computer internet Question

फायरवाॅल क्या है कैसे काम करता है?
What is Firewall ? how firewall work in hindi

फ़ायरवाॅल संस्थाओं को उनकी सूचना प्रणाली की सुरक्षा के लिऐ बहुत सावधान रहना पढता है। फ़ायरवाॅल संस्था के नेटवर्क को बाहरी क्षतियों से सुरक्षित बनाने के लि निर्मित की गई एक सुरक्षा प्रणाली है। यह एक कम्प्यूटर सुरक्षा सिस्टम में जो हार्डवेयर से मिल कर अपना कार्य करता है।
और नेटवर्क प्रबंधन करता है। यह आंतरिक नेटवर्को तक पहंच को नियंत्रित करता है।

इंट्रानेट क्या है? What is Entrant in hindi ?

कम्प्यूटर इंटरनेट प्रश्नोत्तरी

इंट्रानेट क्या है?
What is Entrant in hindi ?

इंट्रानेट किसी

Slow computer |कंप्यूटर की सुस्ती से परेशान हैं,

कंप्यूटर की सुस्ती से परेशान हैं,
कंप्यूटर बिना आपके ऑर्डर के न तो काम शुरू करता है और न ही बंद होता है। किसी भी विंडो को क्लोज करने से पहले भी यह यूजर की सहमति मांगता है- 'डू यू वॉन्ट टु सेव द चेंजेज'। यूजर के पास तीन ऑप्शन होते हैं- यस, नो और कैंसल। इनमें से किसी एक ऑप्शन पर क्लिक करते ही आप उम्मीद कर सकते हैं कि यह मशीन आपके कमांड के अनुसार फौरन ऐक्शन शुरू कर दे। अगर कंप्यूटर ने आपके आदेश को मानने में चंद सेकंड की देरी की तो मान लें कि आपकी इस स्पीड मशीन का सिस्टम स्लो है। फिर आप फौरन इस समस्या से निबटने की तरकीबें ढूंढना शुरू कर दें, वरना कंप्यूटर का यह मर्ज 'हैंग' के रूप में दिखने लगेगा। इसके बाद ऐसे सिस्टम पर काम करने में मुश्किल आएगी।
कब मानें कंप्यूटर है स्लो?
एक्सपर्ट नलिन गौड़ का कहना है कि सिस्टम को स्लो या फास्ट कहने का कोई मानक तय नहीं है। नीचे लिखी सूरतों में आप मान सकते हैं कि पीसी स्लो है:
- जब कंप्यूटर ऑन करते हैं तो उसके शुरू होने में एक मिनट से ज्यादा वक्त लगे।
- ऐप्लिकेशन के यूज के दौरान डायलॉग बॉक्स के स्क्रीन पर दिखने में 15 सेकंड से ज्यादा समय लगे यानी किसी चीज पर क्लिक करने के बाद उसके ओपन होने में बहुत वक्त लगे।
- कमांड देने के बाद विंडो 10 सेकंड तक ओपन न हो।
स्लो होने की खास वजहें:
1. RAM की कपैसिटी कम होने और ऐप्लिकेशन का बोझ बढ़ने से
2. सिस्टम वायरस की चपेट में आने से
3. नकली या फिर बिना लाइसेंस वाले सॉफ्टवेयर का यूज करने से
4. नए ऐप्लिकेशन और सीपीयू की स्पीड में तालमेल नहीं होने
5. एक साथ कई ऐप्लिकेशंस पर काम करने से
6. गेम्स और साउंड व हेवी पिक्चर वाले स्क्रीनसेवर भी कंप्यूटर की स्पीड को कम कर देते हैं
मेमरी में है दम तो प्रॉब्लम होगी कम
माइक्रोटेक सिस्टम के डायरेक्टर एस. सी. जैन के अनुसार ज्यादातर RAM की कपैसिटी कम होने और वर्क लोड लगातार बढ़ने की वजह से कंप्यूटर की स्पीड कम हो जाती है। इसलिए यूज के हिसाब से RAM की कपैसिटी बढ़ानी चाहिए। दरअसल क्वॉर्क, फोटोशॉप, विडियो प्लेयर जैसे कई ऐप्लिकेशन स्पेस के भूखे होते हैं। इन पर काम करने के साथ ही मेमरी में स्पेस कम होता जाता है। इस दौरान जब कई सॉफ्टवेयर पर एक साथ काम किया जाता है, तब कंप्यूटर के हैंग और स्लो होने का खतरा बढ़ जाता है। बकौल जैन, 2 जीबी की RAM, 3 मेगाहर्ट्ज की स्पीड में चलने वाला सीपीयू और 160 से 320 जीबी तक की हार्ड डिस्क से लैस कंप्यूटर में स्लो या हैंग होने की दिक्कत कम आती है। ऐसे कंप्यूटर पर जनरल प्रोग्राम्स के साथ इंटरनेट से कंटेंट डाउनलोडिंग के अलावा विडियो-ऑडियो प्रोग्राम्स को भी चलाया जा सकता है।
कैसे जानें यूजर स्पेस का हाल
जब हम एक साथ कई ऐप्लिकेशंस को ऑपरेट करते हैं तो मेमरी स्पेस कम हो जाता है। इसलिए जब कंप्यूटर स्लो होने लगे तो चेक करें कि कौन सा ऐप्लिकेशन प्रॉसेसर को रोक रहा है या कितने स्पेस का यूज हो रहा है। चेक करने का तरीका आसान है:
स्टेप1 - CRTL+ ALT + DEL करें, एक नई विंडो स्क्रीन सामने आएगी। इसमें टास्क मैनेजर पर क्लिक करें।
स्टेप 2 - फिर उसमें 'प्रॉसेसेज' का बटन क्लिक करें।
स्टेप 3- स्क्रीन पर एक लिस्ट दिखेगी, अब मेम. यूसेज पर क्लिक करें। फाइलें अरेंज हो जाएंगी। अब फाइल्स और ऐप्लिकेशन की साइज के मुताबिक अपनी फौरी प्राथमिकता तय करें यानी यह तय करें कि फिलहाल किस ऐप्लिकेशन को बंद किया जा सकता है और किसे नहीं।
स्टेप 4 - फिर उस ऐप्लिकेशन को बंद करें, कंप्यूटर की स्पीड बढ़ जाएगी।
स्लो कंप्यूटर से बचना हो तो-
1. आपके कंप्यूटर की सी ड्राइव में कम-से-कम 300 से 500 एमबी फ्री स्पेस हो। इसे देखने के लिए माई कंप्यूटर पर क्लिक करें, उसमें सी ड्राइव जहां लिखा है, उसके सामने स्पेस की जानकारी मिल जाती है।
2. अगर सी ड्राइव में स्पेस फुल हो तो वहां पड़ी बेकार की फाइलें और प्रोग्राम्स को डिलीट कर दें।
3. अगर सी ड्राइव की मेमरी में 256 एमबी से कम स्पेस बचा है तो गेम्स न खेलें।
4. हार्ड ड्राइव को अरेंज करने के लिए महीने में एक बार डिस्क फ्रेगमेंटर जरूर चलाएं। यह आपकी हार्ड डिस्क में सेव की गई अव्यवस्थित फाइलों और फोल्डरों को अल्फाबेट के हिसाब से दोबारा अरेंज करता है।
कैसे चलाएं डिस्क फ्रेगमेंटर
Start /Programmes / Accessories / System tool / Disk fragmenter पर क्लिक करने के बाद विंडो स्क्रीन पर आएगा। फिर उसमें Defragment ऑप्शन पर क्लिक करें। डिस्क क्लीनर के ऑप्शन पर क्लिक करते ही टेंपररी और करप्ट फाइलें इरेज हो जाती हैं।
5. अगर एक सिस्टम में दो विडियो ड्राइवर (मसलन, विंडो मीडिया प्लेयर और वीएलसी प्लेयर) हैं तो बारी-बारी उनका यूज करें, दोनों को एक साथ बिल्कुल न चलाएं।
6. किसी नए विंडो सॉफ्टवेयर को रीलोड करने से पहले उसके पुराने वर्जन को डिलीट करें।
7. इंटरनेट से ऐंटि-वायरस और प्रोग्राम डाउनलोड करने से परहेज करें, डुप्लिकेट ऐंटि-वायरस प्रोग्राम्स को करप्ट (खत्म) कर सकता है।
8. पुराने सॉफ्टवेयर पर नए प्रोग्राम्स को रन न करें।
9. नए प्रोग्राम के हिसाब से सॉफ्टवेयर लोड कर अपने सिस्टम को अपडेट करें।
10. जब एक साथ तीन सॉफ्टवेयर प्रोग्राम चल रहे हों तो इंटरनेट को यूज न करें।
11. जब सिस्टम स्लो होने लगे तो लगातार कमांड न दें वरना कंप्यूटर हैंग हो सकता है।
12. पेन ड्राइव यूज करते समय ध्यान रखें कि वह कहीं अपने साथ वायरस तो आपके कंप्यूटर से शेयर नहीं कर रहा है। पेन ड्राइव को सिस्टम से अटैच करने के बाद ओपन करने से पहले स्कैन करें। अगर आपके सिस्टम में इफेक्टिव ऐंटि-वायरस नहीं है, तो पेन ड्राइव को फॉर्मेट भी किया जा सकता है। फॉर्मेट करना बेहद आसान है। पेन ड्राइव का आइकन कंप्यूटर पर आते ही उस पर राइट क्लिक करें। फॉर्मेट का ऑप्शन आ जाता है। मगर ध्यान रखें कि फॉर्मेट करने पर पेन ड्राइव का पूरा डेटा डिलीट हो जाता है।
13. बीच-बीच में सिस्टम से टेंपररी इंटरनेट फाइल्स को भी डिलीट करना जरूरी है। इसके लिए ब्राउजर ( इंटरनेट एक्सप्लोरर या मोजिला) ओपन करते ही ऊपर की तरफ टूल्स का ऑप्शन लिखकर आता है। उस पर क्लिक कर इंटरनेट ऑप्शन को चुन लें। ऐसा करते ही एक नया विंडो खुलेगा, जिसमें एक ऑप्शन ब्राउजिंग हिस्ट्री और कुकीज को डिलीट करने का भी होगा। इस पर क्लिक करते ही टेंपरेरी फाइल्स डिलीट हो जाती हैं।
बायोस चेक करें
कंप्यूटर कारोबारी और सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल त्यागी के मुताबिक आपके सिस्टम में कौन-कौन से सॉफ्टवेयर हैं और उनका कॉनफिगरेशन क्या है, इस बारे में जानकारी के लिए बायोस चेक करें। कंप्यूटर ऑन करने के बाद और विंडो के अपलोड होने से पहले जब स्क्रीन ग्रे शेड की होती है और एक कर्सर ब्लिंक कर रहा होता है, उस समय F2 कमांड दें। सिस्टम का सारा कन्फीगरेशन आपके सामने होगा। अगर किसी सॉफ्टवेयर में एरर है, तो कंप्यूटर इस बारे में भी बताएगा।
वायरस को बाहर निकालो!
जेटकिंग से जुड़े एक्सपर्ट संजय भारती के मुताबिक वायरस चेक करने के लिए कंप्यूटर स्कैन करें। हालांकि कंप्यूटर में ऐक्टिव वायरस होने पर वंर्किंग के दौरान ही दिक्कतें आने लगती हैं। वायरस का नाम भी स्क्रीन पर कोने में आने वाले पॉप अप विंडो के जरिए आने लगता है। इसके अलावा वायरस होने पर तमाम फाइल और फोल्डर्स के डुप्लिकेट बनने लगते हैं। कई फोल्डर्स में ऑटो रन की फाइल अपने आप बन जाती है। बिना कमांड के अनवॉन्टेड फाइलें खुलने और बनने लगेंगी। जब कंप्यूटर इंटरनेट से कनेक्ट हो और लगातार ऐंटि-वायरस लोड करने की गुजारिश की जा रही हो तब मान लीजिए कि वायरस अटैक हो चुका है।
- सिस्टम से वायरस को हटाने के लिए ओरिजिनल ऐंटि-वायरस लोड करें, यह पूरे कंप्यूटर में वायरस को ढूंढकर खत्म करेगा।
- कॉम्बो फिक्स, अविरा, नॉरटन, साइमेनटेक, मैकेफी जैसे कई पॉप्युलर ऐंटि वायरस मार्केट में एक से दो हजार रुपये की प्राइस रेंज में मिल जाते हैं। एक साल के लिए मिलने वाले इन ऐंटि-वायरस को ऑनलाइन अपडेट भी किया जाता है।
- इंटरनेट से फ्री में डाउनलोड होने वाले ऐंटि-वायरस की वैलिडिटी तय होती है। कई बार सिर्फ ट्रायल वर्जन ही मिलता है, इसलिए इंटरनेट से ऐंटि-वायरस उधार न लें तो बेहतर है।
- अगर हार्डवेयर में प्रॉब्लम हो तो जिस कंपनी का प्रॉडक्ट हैं, वहां संपर्क करें। कई कंपनियां सिस्टम और पार्ट्स की गारंटी या वॉरंटी देती हैं, इस फैसिलिटी का उपयोग करें। एक्सपर्ट कंपनी के पार्ट्स को विश्वसनीय मानते हैं हालांकि नेहरू प्लेस, वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया या लोकल मार्केट से सिस्टम को दुरुस्त कराने में जेब कम हल्की होगी।

Why can best 64bit oprating system | 64 बिट ऑपरेटिंग सिस्टम ही है सही

64 बिट ऑपरेटिंग सिस्टम ही है सही
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि कोई खास सॉफ्टवेयर आपके विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने से इनकार कर दे और मेसेज आए कि यह सॉफ्टवेयर 32 बिट का है जो आपके 64 बिट ऑपरेटिंग सिस्टम पर नहीं चल सकता?
आमतौर पर 64 बिट कंप्यूटर 32 बिट की तुलना में सस्ते होते हैं। ऐसे में सीमित बजट वाले लोग 64 बिट कंप्यूटर का चुनाव कर लेते हैं। मजबूरी में ही सही, लेकिन उन्होंने सही चुनाव किया होता है, क्योंकि 64 बिट कंप्यूटर आर्किटेक्चर ज्यादा आधुनिक, ताकतवर और तेज-तर्रार है, बनिस्पत 32 बिट के। कंप्यूटर खरीदने के बाद कई बार आपके पुराने सॉफ्टवेयर नए कंप्यूटर पर नहीं चलते। यही बात उन लोगों के साथ भी है, जिनके पास 32 बिट कंप्यूटर है और उन्होंने गलती से उस पर 64 बिट सॉफ्टवेयर चलाने की कोशिश की है। ज्यादातर 32 बिट सॉफ्टवेयर 64 बिट कंप्यूटरों में चल सकते हैं, लेकिन 64 बिट सॉफ्टवेयर 32 बिट कंप्यूटर या ऑपरेटिंग सिस्टम में नहीं चलेंगे, बशर्ते आपने कोई जुगाड़ न किया हो।
क्या है 64 बिट और 32 बिट
कंप्यूटर में होने वाली सारी कैलकुलेशन और प्रोसेस माइक्रोप्रोसेसर के जरिये पूरी होती हैं, जिसे प्रोसेसर या चिप भी कहते हैं। यह एक चौकोर हार्डवेयर कम्पोनेन्ट है, जो कंप्यूटर के सीपीयू टावर के भीतर मदरबोर्ड में फिट होता है। किसी भी प्रोसेसिंग के लिए यह डेटा प्राप्त करता (इनपुट) है और प्रोसेसिंग के बाद डेटा प्रदान (आउटपुट) करता है। वह एक साथ कितना डेटा प्राप्त और प्रोसेस कर सकता है, उस पर कंप्यूटर की कुशलता निर्भर करती है।
फर्क प्रोसेसिंग का
32 बिट कंप्यूटर का माइक्रोप्रोसेसर एक साथ 32 बिट डेटा ग्रहण कर सकता है, जबकि 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर उसका दोगुना डेटा। यानी 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर से लैस कंप्यूटर दोगुनी रफ्तार से काम करने में सक्षम है। 64 बिट कंप्यूटरों में मल्टि-कोर प्रोसेसर भी उपलब्ध हैं, जैसे ड्यूल कोर, क्वाड कोर, ऑक्टा कोर वगैरह। इनका अर्थ यह हुआ कि एक ही चिप पर कई माइक्रोप्रोसेसर या चिप एक साथ लगे होते हैं। ड्यूल कोर का मतलब है, दो कोर या दो माइक्रोप्रोसेसर जबकि क्वाड कोर का मतलब है चार कोर या चार माइक्रोप्रोसेसर। अगर आपका 64 बिट कंप्यूटर क्वाड कोर से लैस है तो सामान्य 32 बिट कंप्यूटर की तुलना में उसकी प्रोसेसिंग पावर (64, 64, 64, 64) आठ गुना हो जाती है।
फर्क रैम का
रैम कंप्यूटर के सीपीयू टावर में मदरबोर्ड के भीतर फिट होने वाला एक कंघीनुमा हार्डवेयर है, जिसका काम है कंप्यूटर सॉफ्टवेयरों के इस्तेमाल में आने वाले डेटा को सहेजना। हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम कई तरह का डेटा इस्तेमाल करते हैं। इस डेटा को प्रोसेसिंग से पहले और बाद में किसी जगह अस्थायी रूप से सहेजने की जरूरत पड़ती है। इस काम के लिए एक तेजतर्रार स्टोरेज मीडियम चाहिए। रैम यही काम करती है। रैम जितनी ज्यादा होगी, अस्थायी रूप से निर्मित होने वाले डेटा को सहेजने का काम उतनी तेजी से होगा। रैम कम होने पर कंप्यूटर की रफ्तार घट जाएगी।
32 बिट कंप्यूटरों का आर्किटेक्चर ऐसा है कि उनमें सिर्फ 4 जीबी तक रैम का इस्तेमाल कर सकते हैं। 32 बिट के सॉफ्टवेयरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रैम इससे भी कम है, यानी करीब 3.2 गीगाबाइट। आप ऐसे कंप्यूटर में 4 जीबी से ज्यादा रैम इस्तेमाल नहीं कर सकते। दूसरी तरफ 64 बिट कंप्यूटरों में रैम की अधिकतम मात्रा असीमित हो जाती है।
अब आप दोनों तरह के आर्किटेक्चर की तुलना करके देख लीजिए। यही वजह है कि विडियो एडिटिंग, ऐनिमेशन, 3डी ग्राफिक्स जैसे सॉफ्टवेयरों में, जिनमें बहुत ज्यादा डेटा बनता और प्रोसेस होता है, 64 बिट कंप्यूटरों का इस्तेमाल होता है। न सिर्फ प्रोसेसर की ताकत की वजह से, बल्कि रैम की वजह से भी।
फर्क सॉफ्टवेयरों का
सभी ऑपरेटिंग सिस्टम धीरे-धीरे 32 बिट से मुक्ति पाकर 64 बिट की तरफ बढ़ रहे हैं इसलिए 64 बिट आर्किटेक्चर पर चलने वाले सॉफ्टवेयरों का भी विकास होने लगा है। ऐसे सॉफ्टवेयर ज्यादा रैम का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं इसलिए तेज चलते हैं। जब आप 64 बिट के लिए बने सॉफ्टवेयर को 32 बिट कंप्यूटर में चलाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें अपनी जरूरतों के लिए सही मात्रा में रैम और प्रोसेसर का अभाव दिखाई देता है और वे चलते नहीं।
तो कौन सा कंप्यूटर लें?
आपको नया कंप्यूटर लेते वक्त 64 बिट के ऑप्शन का ही चुनाव करना चाहिए। इसमें आपके पुराने सॉफ्टवेयर तो ज्यादातर चल ही जाएंगे, भविष्य में आने वाले तमाम सॉफ्टवेयर ऐसे हो सकते हैं जो शायद सिर्फ 64 बिट कंप्यूटरों पर ही काम करें।
कौन सा है आपका ऑपरेटिंग सिस्टम
अगर आपको यह जानना है कि आपका विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम 64 बिट है या 32 बिट, तो कंट्रोल पैनल में जाकर सिस्टम पर क्लिक करें। यहां View amount of Ram and Processor Speed पर क्लिक करें। आपके कंप्यूटर का ब्यौरा दिखाई देगा, जिसमें न सिर्फ 32 बिट या 64 बिट आर्किटेक्चर की बात साफ हो जाएगी, बल्कि कंप्यूटर में कितनी रैम है और कौन सा प्रोसेसर लगा है, यह भी दिखाई देगा।

How to we a best computer user | यह तरीके बनायेगें अापको कम्‍प्‍यूटर पर तेज, स्‍मार्ट और सुरक्षित

Computer  पर काम करने तथा "तेज, स्‍मार्ट और सुरक्षित" काम करने में बहुत फर्क है और वह फर्क है जानकारी का, Computer के बारे में बहुत सारी चीजें ऐसी होती है, जिसकी जानकारी हमें नहीं होती हैं, अगर इनके बारे में हमें पता हो और इनकी ठीक से प्रैक्टिस की जाये तो हम भी Computer  में expert बन सकते हैं, आज हम आपको ऐसी ही कुछ जानकारियॉ दे रहे हैं-
1-File and Folder management
Computer पर काम करने में  File and Folder management बहुत जरूरी है, अगर आपके कम्‍प्‍यूटर में File and Folder ठीक प्रकार से नहीं बने हैं, तो आपको File and Folder Search करने में हमेशा परेशानी होगी, बेहतर होगा, कि आप अपनी File and Folder को ठीक प्रकार नाम से सेव करें, जैसे :- अगर आप के कम्‍प्‍यूटर में MP3 गाने हैं तो उनको Category wise लगा दीजिये, नये गाने एक Folder में पुराने गाने एक Folder  में उसमें भी उनको अलग-अलग कर लीजिये, जैसे गजल, भजन, सूफी, इत्‍यादी जिससे उनको Search करने में आसानी हो।
2-Please use cloud storage
क्‍लाउड स्‍टोरेज, Internet का दिया गया एक और श्‍ाानदार तोहफा है, यह एक एेसा तरीका है, जिससे अपनीसभी जरूरी फाइलों को जैसे डाक्‍यूमेन्‍ट, फोटो, म्‍यूजिक, वीडियो आदि को कम्‍प्‍यूटर के साथ साथ Internet पर भी सेव करके रख सकते हो, इससे एक तरीके से आपका कम्‍प्‍यूटर हमेशा आपके साथ रहता है, बहुत कम्‍पनियॉ क्‍लाउड स्‍टोरेज सेवाFree में उपलब्‍ध करा रही हैं, जैसे - Google drive  पर आप 15 Gb तक डाटा स्‍टोर कर सकते हैं, इस सेवा का सबसे बडा फायदा यह है कि आपके कम्‍प्‍यूटर का सारा डाटा हमेशा आपके साथ रहता है, चाहे आप जहॉ भी हों।
3 -Compress Large Files to save Hard Disk Space
Folder management और क्‍लाउड स्‍टोरेज सेवा के अलावा Hard Disk का Space बचाना भी जरूरी होता है, इसके लिये आप WinRAR का प्रयोग कर सकते हैं, इससे सबसे बडा फायदा यह होता है, इससे आप कम्‍प्‍यूटर (Computer) की फाइलों (Files) को कॉम्‍प्रेस (Compress) करने के साथ-साथ (password protect) पासवर्ड सुरक्षा भी दे सकते हो।
4-Save yourself from phishing on the Internet
Computer होगा तो Internet भी होगा, इसलिये अपने कम्‍प्‍यूटर के लिये एडवांस सिस्‍टम केयर टिप्‍स तैयार रखें और मैलवेयर,  फ़िशिंग  और हैकिंग  के बारे में अच्‍छी तरह से जानकारी ले लें और सुरक्षा भी उपाय कर लें। एक अच्‍छा एंटीवायरस अवश्‍य कम्‍प्‍यूटर में डाल लें और समय-समय पर अपडेट करते रहें।
5-Also remember typing shortcut
Computer में expert बनने के लिये आपको अपने कम्‍प्‍यूटर Keyboard को जानना भी बहुत जरूरी है, साथ ही साथ टाइपिंग के लिये की-बोर्ड भी याद कर लीजिये, इससे आपको तेजी से टाइपिंग करने में सहायता मिलेगी, जहॉ आप माउस का प्रयोग करते हैं, वहॉ सीधे-सीधे Keyboard से काम हो जायेगा और समय की बचत भी होगी। 
6-Learn more about the Internet
आज का युग Internet का युग है, इसलिये Internet के बारे में अच्‍छी प्रकार से जानकारी कर लीजिये, कि श्रेष्‍ठ/निशुल्‍क ईमेल प्रदाता कौन-कौन हैं जीमेल और हॉटमेल नई ई मेल कैसे बनाई जाती है, गूगल ईमेल अलर्ट कैसे बनाया जाता है, कुकी क्‍या होती है अगर आपका पासवर्ड आपके ब्राउजर पर सेव हो गया है तो उसके कैसे मिटाया जाता है, या दो जीमेल एकाउन्‍ट एक ही समय में कैसे प्रयोगकिये जाते हैं। अगर आप हिन्‍दी भाषी हैं तो hindi search engine के बारे में भी जानकारी रखिये जिससे आप नई जानकारी अपनी भाषा में सर्च करा सकें। गूगल मैप के बारे में भी जानिये।
7-Get information about windows
windows हमारे कम्‍प्‍यूटर परिचालन में सहायक होता हैं, इसके बारे में भी जानकारी लेना बहुत जरूरी होता है, जैसे विण्‍डोज में पासवर्ड कैसे  सैट किया जाता है, समय बचाने के लिए हाइबरनेट का उपयोगकैसे किया जाता है,विण्‍डोज 7 में किसी भी फाइल को उसके कन्‍टेन्‍ट  से कैसे सर्च किया जाता है, इसके अलावा विण्‍डोज के ढेरों टिप्‍स आप यहॉ क्लिक कर पढ सकते हैं।

कंप्यूटर वायरस क्या है .. ? Computer virus kya he..?

कंप्यूटर वायरस क्या है .. ?
ये एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो खुद बा खुद आपके कंप्यूटर पे अपने आप को संयोजित करता है, एक कम्प्यूटर वायरस एक कंप्यूटर प्रोग्राम (कंप्यूटर प्रोग्राम) है जो अपनी अनुलिपि कर सकता है और उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना एक कंप्यूटर को संक्रमित कर सकता है और उपयोगकर्ता को इसका पता भी नहीं चलता है. विभिन्न प्रकार के मैलवेयर (मैलवेयर) और एडवेयर (adware) प्रोग्राम्स के संदर्भ में भी "वायरस" शब्द का उपयोग सामान्य रूप से होता है, हालाँकि यह कभी-कभी ग़लती से भी होता है.
मूल वायरस अनुलिपियों में परिवर्तन कर सकता है, या अनुलिपियाँ ख़ुद अपने आप में परिवर्तन कर सकती हैं, जैसा कि एक रूपांतरित वायरस (रूपांतरित वायरस) में होता है. यह नाम सयोग वश बीमारी वाले वायरस से मिलता है मगर ये उनसे पूर्णतः अलग होते है.वायरस प्रोग्रामों का प्रमुख उददेश्य केवल कम्प्यूटर मेमोरी में एकत्रित आंकड़ों व संपर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमण से प्रभावित करना है. वास्तव में कम्प्यूटर वायरस कुछ निर्देशों का एक कम्प्यूटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त सूक्षम किन्तु शक्तिशाली होता है. यह कम्प्यूटर को अपने तरीके से निर्देशित कर सकता है. ये वायरस प्रोग्राम किसी भी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़ जाते हैं और उनके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उददेश्य अर्थात डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उददेश्य को पूरा करते हैं. अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत-विक्षत कर देते हैं. वायरस से प्रभावित कोई भी कम्प्यूटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कार्य शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकावटें, गलतियां तथा कई अन्य समस्याएं पैदा कर देता है. प्रत्येक वायरस प्रोग्राम कुछ कम्प्यूटर निर्देशों का एक समूह होता है जिसमें उसके अस्तित्व को बनाएं रखने का तरीका, संक्रमण फैलाने का तरीका तथा हानि का प्रकार निर्दिष्ट होता है. सभी कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम मुख्यतः असेम्बली भाषा या किसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे "पास्कल" या "सी" में लिखे होते हैं.
वायरस के प्रकार 1. बूट सेक्टर वायरस 2. फाइल वायरस 3. अन्य वायरस
  एक वायरस एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में तभी फ़ैल सकता है जब इसका होस्ट एक असंक्रमित कंप्यूटर में लाया जाता है, उदाहरण के लिए एक उपयोगकर्ता के द्वारा इसे एक नेटवर्क या इन्टरनेट पर भेजने से, या इसे हटाये जाने योग्य माध्यम जैसे फ्लॉपी डिस्क (फ्लॉपी डिस्क), सीडी, या यूएसबी ड्राइव पर लाने से. इसी के साथ वायरस एक ऐसे संचिकातंत्र या जाल संचिका प्रमाली (नेटवर्क फाइल सिस्टम) पर संक्रमित संचिकाओं के द्वारा दूसरे कम्पूटरों पर फ़ैल सकता है जो दूसरे कम्प्यूटरों पर भी खुल सकती हों. कभी कभी कंप्यूटर का कीड़ा (कंप्यूटर कीड़ा) और ट्रोजन होर्सेस (ट्रोजन हॉर्स) के लिए भी भ्रमपूर्वक वायरस शब्द का उपयोग किया जाता है. एक कीडा अन्य कम्प्यूटरों में ख़ुद फैला सकता है इसे पोषी के एक भाग्य के रूप में स्थानांतरित होने की जरुरत नहीं होती है, और एक ट्रोजन होर्स एक ऐसी फाईल है जो हानिरहित प्रतीत होती है.
कीडे और ट्रोजन होर्स एक कम्यूटर सिस्टम के आंकडों, कार्यात्मक प्रदर्शन, या कार्य निष्पादन के दौरान नेटवर्किंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सामान्य तौर पर, एक कीड़ा वास्तव में सिस्टम के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को नुकसान नहीं पहुंचाता, जबकि कम से कम सिद्धांत रूप में, एकट्रोजन पेलोड, निष्पादन के दोरान किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचने में सक्षम होता है. जब प्रोग्राम नहीं चल रहा है तब कुछ भी नहीं दिखाई देता है लेकिन जैसे ही संक्रमित कोड चलता है, ट्रोजन होर्स प्रवेश कर जाता है.यही कारण है कि लोगों के लिए वायरस और अन्य मैलवेयर को खोजना बहुत ही कठिन होता है और इसीलिए उन्हें स्पायवेयर प्रोग्राम और पंजीकरण प्रक्रिया का उपयोग करना पड़ता है. एक कंप्यूटर वायरस खुद को ये एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है कॉपी करता हैं. ये उपयोगकर्ता की अनुमति या जानकारी के बिना उसके कंप्यूटर को संक्रमित कर सकते ये अपने मेजबान (असंक्रमित कंप्यूटर) पर ले जाये जाते ही केवल एक कंप्यूटर से दूसरे में फैल सकता है, ये एक फाइल सिस्टम पर फ़ाइलों को संक्रमित होने से अन्य कंप्यूटरों में फैल सकता है. वायरस स्वयं को न खोज पाने के लिए और कम्प्यूटर कार्यक्रमों को बर्बाद करने के लिए ही बनाए जाते है. इसके अलावा, कुछ सूत्रों का कहना है कि कुछ वायरस को, वायरस फ़ाइलों को हटाने, या हार्ड डिस्क reformatting का ही इन्तज़ार रहता है क्योंकि ये, इसी के लिए ही बनाए जाते है, और ये हानिकारक कार्यक्रमों से कंप्यूटर को क्षति पहुँचाने के लिए बनाए जाते हैं कुछ मेलवेयर, विनाशकारी प्रोग्रामों, संचिकाओं को डिलीट करने, या हार्ड डिस्क की पुनः फ़ॉर्मेटिंग करने के द्वारा कंप्यूटर को क्षति पहुचाने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं. अन्य मैलवेयर प्रोग्राम किसी क्षति के लिए नहीं बनाये जाते हैं, लेकिन साधारण रूप से अपने आप को अनुलिपित कर लेते हैं शायद कोई टेक्स्ट, वीडियो, या ऑडियो संदेश के द्वारा अपनी उपस्थिति को दर्शाते हैं.यहाँ तक की ये कम अशुभ मैलवेयर प्रोग्राम भी कंप्यूटर उपयोगकर्ता (कंप्यूटर उपयोगकर्ता) के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं .. वे आमतौर पर वैध कार्यक्रमों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली कम्प्यूटर की स्मृति (कंप्यूटर स्मृति) को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं.इसके परिणाम स्वरूप, वे अक्सर अनियमित व्यवहार का कारण होते हैं और सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अतिरिक्त, बहुत से मैलवेयर बग (बग) से ग्रस्त होते हैं, और ये बग सिस्टम को नुक्सान पंहुचा सकते हैं या डाटा क्षति (डेटा हानि) का कारण हो सकते हैं. कई सीआईडी ​​प्रोग्राम ऐसे प्रोग्राम हैं जो उपयोगकर्ता द्वारा डाउनलोड किए गए हैं और हर बार पॉप अप किए जाते हैं. इसके परिणाम स्वरुप कंप्यूटर की गति बहुत कम हो जाती है लेकिन इसे ढूंढ़ना और समस्या को रोकना बहुत ही कठिन होता है. .ये वायरस कंप्यूटर उपयोगकर्ता के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं सिस्टम क्रैश हो सकता है. इसके अलावा, कई फाइलें वायरस बग से ग्रस्त हो सकती हैं, और इन बगं प्रणाली के कारण आपका कम्प्यूटर दुर्घटनाओं और डेटा हानि का कारण बन सकता है एक कंप्यूटर वायरस खुद को दोहराने का कार्य भी कर सकता हैं
मुख्य वायरस दो प्रकार के होते हैं: 1: फ़ाइल फैक्टर .... (फ़ाइल फेक्टर), 2: बूट वायरस .... (बूट वायरस)
1: फ़ाइल फैक्टर .... (फ़ाइल फेक्टर) ये वायरस कंप्यूटर में फ़ाइल के पते को बदल देते है
2: बूट वायरस .... (बूट वायरस) ये ऐसा वायरस है जो कि सिस्टम बायोज पर असर डालता है, व खराब करता है, जिसकी वजह से कंप्यूटर के हार्डवेयर काम करना छोड़ने लगते है, और malwares कई प्रकार के होते हैं और विस्तार में उन सभी को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है, और समझना भी, इसलिए यहाँ मैं संक्षिप्त में इन में से कुछ समझा रहा हूँ: -
1. ट्रोजन हॉर्स (ट्रोजन हॉर्स): एक ट्रोजन बड़ी गुपचुप तरीके से आप के कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित कर देगा जो एक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम है. ट्रोजन अन्य कार्यक्रमों सबसे ऊपर आता है और उपयोगकर्ता के ज्ञान के बिना एक सिस्टम पर स्थापित हो जाता है ट्रोजन्स आपके सिस्टम पर एक लक्ष्य बनाकर हैकिंग सॉफ्टवेयर स्थापित करं और उस प्रणाली तक हैकर की पहुँच बनाने और बनाए रखने में, हैकर की सहायता करने के लिए इस्तेमाल किया व बनाया जाता है. ट्रोजन में कई भिन्न प्रकार होते हैं, इनमें से कुछ: -
1. दूरस्थ प्रशासन ट्रोजन (दूरस्थ प्रशासन ट्रोजन)
2. डाटा ट्रोजन चोरी (डाटा ट्रोजन चोरी)
3. सुरक्षा अक्षम ट्रोजन (सुरक्षा Disabler ट्रोजन)
4. नियंत्रण परिवर्तक ट्रोजन (नियंत्रण परिवर्तक ट्रोजन)
कुछ प्रसिद्ध ट्रोजन:
1. जानवर (बीस्ट)
2. वापस छिद्र (बैक ओरीफ़ाइस)
3. नेट बस (नेट बस)
4. प्रो चूहा (प्रो रैट)
5. लड़की मित्र (गर्ल फ्रेंड)
6. उप आदि सात (सब सेवन ई टी सी)
2 .Boot क्षेत्र के वायरस (सेक्टर वायरस बूट): ये एक ऐसा वायरस है जो कि बूटिंग के समय में कंप्यूटर के द्वारा पढ़ा जाता है कि सिस्टम बूट फ़ाइलों को ही देख़ता है. ये आम तौर पर फ्लॉपी डिस्क के जरिये फैलता हैं.
3 .Macro वायरस (मैक्रो वायरस): मैक्रो वायरस खुद को वितरित करने के लिए बनाए जाते है ये एके मैक्रो प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करने वाले वायरस होते हैं. वे ऐसे एमएस वर्ड या एमएस एक्सेल के रूप में दस्तावेजों को संक्रमित कर देते हैं और आम तौर पर इसी तरह की अन्य दस्तावेजों में अपनी प्रोग्रामिंग भाषा फैला देते हैं.
4 .Worms (वोर्म्स): वोर्म्स एक कीड़ा बना देता है और खुद की प्रतियों के वितरण की सुविधा देता है जो कि एक कार्यक्रम होता है.
उदाहरणार्थ एक डिस्क ड्राइव से दूसरे, या ईमेल का उपयोग कर अपने आप को कॉपी करने के लिए कार्यक्रम होता है. यह प्रणाली भेद्यता के शोषण के माध्यम से या एक संक्रमित ई - मेल पर क्लिक करके आ सकता है वोर्म्स यानी कीड़े का सबसे सामान्य स्रोत नकली ईमेल या ईमेल संलग्नक हैं
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5 .Memory निवासी वायरस (मेमोरी रेजिडेंट वायरस): मेमोरी रेजिडेंट वायरस एक कंप्यूटर में अस्थिर स्मृति (रैम) में जाकरें रहते हैं. वे जब एक प्रोग्राम कंप्यूटर पर चलता है तो ये भी उसी के साथ चलते हैं और शुरुआत में ही प्रोग्राम बंद करके बाद में स्मृति में रह जाते हैं.
6 .Rootkit वायरस (रूटकिट वायरस): एक रूटकिट वायरस किसी एक कंप्यूटर प्रणाली का नियंत्रण हासिल करने के लिए, अनुमति देने के लिए बनाया जाता है जो कि एक undetectable वायरस है. रूटकिट वायरस लिनक्स व्यवस्थापक जड़ उपयोगकर्ता से आता है. ये वायरस आमतौर पर ट्रोजन द्वारा भी स्थापित होता हैं.

चालू होते ही कम्प्यूटर क्या करता है!

चालू होते ही कम्प्यूटर क्या करता है!
जब आप स्टार्ट बटन (start button) दबा कर अपने कम्प्यूटर (computer) को चालू करते हैं तो कम्प्यूटर (computer) में सिलसिलेवार प्रक्रियाएँ आरम्भ हो जाती हैं जिसे किबूटिंग (booting) के नाम से जाना जाता है। बूटिंग (booting) दो चरणों में होती है जिसके प्रथम चरण में कम्प्यूटर (computer) पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test)करता है अर्थात् स्वयं को जाँचता-परखता है और दूसरे चरण में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) को लोड (Load) करता है।
कम्प्यूटर (computer) के सभी अवयव सही-सही कार्य कर रहे हैं इस बात को परखने कीएक श्रृंखलाबद्ध जांच प्रक्रिया (a series of tests) को पॉवर-आन सेल्फ टेस्ट (Power-On Self Test) कहा जाता है :
सर्वप्रथम सी.पी.यू. (C.P.U.) अर्थात् सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (central processing unit) स्वयं को पुनर्स्थापित (reset) करता है।
सी.पी.यू. (C.P.U.) स्वयं को जाँचता है और बयास (Bios) में स्थित मेमोरी (Memory) के प्रोग्राम्स (programs) को शुरू करता है।
फिर बयास (bios) में स्थित कोड्स (codes) की सहायता से सभी घटकों (components) की जाँच करता है।
फिर राइटिंग और रीडिंग (writing and reading) करके डीरैम (DRAM) की जाँच होती है।
तत्पश्चात की-बोर्ड (keyboard) की जाँच होती है कि वह सही ढ़ंग से जुड़ा है या नही
उसके बाद फ्लॉपी ड्राइव (floppy drive) और हार्ड ड्राइव (Hard drive)की जाँच की जाती है।
फिर जाँच की जाती है कि माउस (mouse) जुड़ा है या नही।
अंततः जाँच से प्राप्त डाटा (data) का बयास (bios) में कॉन्फिगर्ड डाटा (configured data) से मिलान किया जाता है।
किसी भी प्रकार की गलती पाने पर कम्प्यूटर (computer) एरर मेसेज (error messege) देता है और यदि सभी कुछ ठीक-ठाक मिले तो आपरेटिंग सिस्टम (operating system) को लोड करने की प्रक्रिया आरंभ कर देता है।
आपरेटिंग सिस्टम (operating system) लोड होना
सी.पी.यू. (C.P.U.) आपरेटिंग सिस्टम को फ्लॉपी (floppy), सी.डी. (CD) तथा हार्ड ड्राइव (hard drive) में खोजता है।
आपरेटिंग सिस्टम के मिल जाने पर उसके भीतर स्थित बूट रेकार्ड को डीरैम (DRAM)में स्थानांतरित करता है।
आपरेटिंग सिस्टम (operating system) के लोड हो जाने तक यह प्रक्रिया जारी रहती है।
आपरेटिंग सिस्टम (operating system) पूर्णतः लोड हो जाने के बाद डेस्कटॉप दिखाई पड़ने लगता है और कम्प्यूटर (Computer) उपयोग करने लायक बन जाता है।